मुलथान में पांच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न
नगर भोज में चार हजार श्रद्धालु शामिल हुए
मुलथान ग्राम में चल रहे पांच दिवसीय चिंतामन गणेश मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में बुधवार को शोभायात्रा और भगवान गणेश का विवाह हुआ।श्रीराम मंदिर परिसर से रथ में गणेशजी की बारात निकली।गुरुवार प्रातः वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान श्री गणेश ऋद्धि सिद्धि सहित गर्भगृह में विराजे।बुधवार को गणेश विवाह के साथ प्रतिमा को सजे धजे रथ में बिठाकर शोभायात्रा निकाली गई।जिसमें हरीश राठौड़ व मोहन राठौड़ ने चंवर डुलाने का लाभ लिया।
बारात के साथ महिलाएं और युवक नृत्य करते हुए जयकारे लगाते जा रहे थे।सरपंच देवेन्द्र मोदी ने अटल चौराहे पर मंच लगाकर बारात पर पुष्प वर्षा की। बारातियों को साबूदाने की खिचड़ी वितरित की गई।कमल राठौड़ व हरीश झारानी सहित गांव भर में बारात पर पुष्प बरसाए गए।पंकज राठौड़ व उनकी धर्मपत्नी ने गणेश जी के माता पिता और दिलीप बाबूलाल मुकाती व उनकी धर्मपत्नी ने ऋद्धि सिद्धि के माता पिता बनने का लाभ लिया। मुकाती परिवार ने अगवानी की।यज्ञाचार्य पंडित बालकृष्ण शास्त्री ने कहा कि आग्रपूज्य भगवान गणेश का विवाह घर परिवार और समाज में खुशियां बांटता है।जो यजमान इस समारोह के लाभार्थी बनते हैं वे कुटुंब सहित सनातन में भी सकारात्मक संदेश देते हैं।सनातन धर्म के सोलह संस्कारों में पाणिग्रह संस्कार के जीवन में बड़ा महत्व है।गणेश पूजन के साथ ही यह आरंभ होता है।उनकी पत्नी ऋद्धि को धन और समृद्धि का व सिद्धि को बुद्धि और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है।उनके दो पुत्र शुभ व लाभ अपने नाम अनुसार ही फलित होते हैं।इस प्रकार विवाह के समय से ही गणेश परिवार मनुष्य के जीवन में खुशियां लेकर आते हैं।
गुरुवार को सुबह 7 बजे से प्राण प्रतिष्ठा हेतु विशेष अनुष्ठान शुरू हुआ।इसके बाद गंगाजल यात्रा निकली जिसमें बृजेश जायसवाल और पुष्कर सिंह राजावत घोड़ों पर धर्मध्वजा लेकर चल रहे थे। बैंड बाजों और ढोल पर भक्तजन नृत्य करते हुए झूम रहे थे।महाकाल भैरव मंदिर से गंगाजल भरकर शिखर कलश स्थापित किया।
स्वर्ण शिखर कलश का लाभ किशोर जायसवाल,स्वदेश सिंह राठौड़ व संजय जायसवाल ने लिया।दोपहर बाद नगर भोज का आयोजन होगा।गंगाजल कलश के लाभार्थि नंदकिशोर अमृतलाल राठौड़ थे।माता लक्ष्मी और सरस्वती प्रतिमा स्थापना मदन रामकिशन राठौड़,पीतल का ध्वज दंड ज्योतिरादित्य पंचाल, प्रधान माला मोहन राठौड़ ,घंटा घड़ियाल मुकेश पुना जी राठौड़ व मूर्ति स्थापना का लाभ भरत डाबी ने लिया।
दोपहर बाद नगर भोज का आयोजन हुआ जिसमें चार हजार श्रद्धालुओ ने सम्मिलित होकर महाप्रसादी ग्रहण की।