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जिस नेता का विरोध कर पुतला फुंका , उस नेता को मिला राजनैतिक फायदा

जिस नेता का विरोध कर पुतला फुंका जाता है उसका राजनैतिक क्षेत्र में दबदबा बडता जाता

विरोध करने या पुतला दहन कराने वाले नेता का ग्राफ गिरता

भाजपा कार्यकर्ताओं ने भाजपा जिलाध्यक्ष सोमानी का पुतला फंुक कर छवि बिगाडने का प्रयास

धीरे धीरे पुतला फुंकने की साजिश के राज खुल रहे है

बदनावर न्यूज़ चीफ एडिटर/महेश पाटीदार

बदनावर। जैसे जैसे मौसम का पारा गिर ठंडा होता जा रहा है वैसे वैसे राजनिती का पारा गर्मा रहा है। कही नेता के चेहरे पर कालिख पोती गई तो कही पार्टी प्रमुख का पुतला फंुका गया। दोनों ही स्थिति में राजनैतिक उफान देखने का मिला है। परंतु धरातल देखा गया कि जब जब किसी का विरोध होता है या पुतला फुंका जाता है तब तब उस व्यक्ति का राजनैतिक क्षेत्र में दबदबा बडता जाता है। ऐसी भी कहावत है कि घर के डांडे से आंख फुटना। इससे तात्पर्य है कि जो विरोध करते हुए पुतला फुंकता है उसी का नुकसान अधिक होता है। और जिसका विरोध कर पुतला फुंकते है वरिश्ठों की निगाहों में उसकी अहमियत बढ जाती है।

राजनिति में अपनी पैंठ जमाने केे लिए नेतागण नए नए तरीके अपनाते है। विरोधी को पटकनी देने के लिए नेता किसी भी हद तक जा सकते है। कई बार देखने में आया कि विरोधी नेता अपना वजूूद बनाए रखने के लिए पुतला दहन करने से भी नही चुकते है। तथा बेनर पोस्टर फाडनेे की हरकत, बेनर पर लगे फोटो पर कलर पोतने से भी बाज नहीं आते है। किंतु लंबे समय के राजनैतिक परिदृश्य को देखने पर एहसास होता है कि जिसके चेहरे पर रंग पोता या पुतला जलाया, संबंधीत व्यक्ति के राजनैतिक कद में काफी इजाफा होता है। इसके विपरीत विरोध करने या पुतला दहन कराने वाले नेता का ग्राफ गिरता दिखाई देता है। ऐसे ही कुछ वाक्ये यहां प्रस्तुत है।

2013 में भाजपाईयों ने भंवरसिंह शेखावत का पुतला फूंका-

शेखावत विधायक बने2013 विधानसभा चुनाव में भाजपा की और से 15 से अधिक नेताओं ने टिकट की दावेदारी की गयी थी। राजेश अग्रवाल व कई लोगों ने टिकट के लिए भोपाल दिल्ली की दोड लगायी। किंतु भाजपा हाईकमान ने पेराशुट से इंदौरी नेता भंवरसिंह शेखावत को मैदान में उतारने पर टिकट के स्थानीय दावेदार भाजपा नेताओं के सर्मथकों ने प्रत्याशी भंवरसिंह शेखावत के विरोध में नारेबाजी करते हुए बदनावर विधानसभा में कई जगहों पर पुतला फंुका गया। किंतु शेखावत ने विरोधियों की गतिविधियों को दरकिनार कर अपने काम में लगे रहें। शेखावत दोे बार के विधायक राजर्वद्वनसिंह दतीगांव को हराकर विधायक चुने गये। पुतला फुंकने वाले विरोध खाली हाथ मलते रह गये।

2020 में कांग्रेस के भारी विरोध के वाबजूद दतीगांव जीते-

2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुने गए विधायक राजवर्द्वनसिंह दतीगांव 2020 में दल बदल कर भाजपा में शामिल हो गए। और भाजपा सरकार में उधोगमंत्री बनाए गए। उपचुनाव में कांगेस ने दतीगांव पर मतदाताओं का मत बेचने सहीत कई गंभीर आरोप लगाये। किंतु दतीगांव ने लगाये आरोपो पर ध्यान नहीं देकर चुनाव की रणनीति बनाने में लगे रहे। परिणाम स्वरुप दतीगांव ने जीत का परचम लहराकर विरोधी पार्टी कांग्रेस को मुंह तोड जबाव दिया।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने 2023 में शेखावत का पुतला फुंका, शेखावत ने जीत का परचम लहराया –

2023 में पूर्व विधायक भंवरसिंह शेखावत के भी दल बदल कर कांग्रेस में शामिल होने कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने जमकर विरोध करते हुए शेखावत के लेग पोेस्टर पर कालिख पोत दी। यही नहीं कई कांग्रेसियों ने शेखावत का पुतला भी जलाया। भारी विरोध के चलते कांग्रेस हाईकमान ने भंवरसिंह शेखावत पर भरोसा कर विधानसभा चुनाव मंे प्रत्याशी बनाया गया। शेखावत ने सभी विरोधियों को पटकनी देते हुए भाजपा के भारी भरकम प्रत्याशी उधोगमंत्री दत्तीगांव कोे हराकर विरोधियों को चारों खाने चीत कर दिया। पुतला जलाने वाले अब विधायक शेखावतजी के आगे पिछे घुमते रहते है।

दीपावली मिलन समारोह के पहले विधायक शेखावत के चेहरे पर कलर पोत विधायक की छवि खराब करने का प्रयास, किंतु आयोजन सफल रहा-

विधायक भंवरसिंह शेखावत के मार्गदर्शन में दीपावली मिलन समारोह का आयोजन रखा गया। किंतु कुछ विरोधी लोगों को इस आयोजन से काफी नफरत होने पर उन्होने रात के अंधेरे में यात्री छोकला, कलोरा, सेमलिया गांव में यात्री प्रतिक्षालय पर लगे विधायक शेखावत के पोस्टर पर कलर पोतने की घटिया हरकत की गई। दीपावली मिलन समारोह में बांधा उत्पन्न कर आयोजन के प्रति लोगों में गलत संदेष देकर विधायक शेखावत की छवि खराब करने का ंिनंदनिय काम किया। किंतु दीपावली मिलन समारोह में 15 हजार से अधिक लोगों ने शामिल होकर आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।

भाजपा जिलाध्यक्ष सोमानी का पुतला फंुक कर छवि बिगाडने का प्रयास, सोमानी और मजबूत हुए-

घर से डांडे से ही आंख फुटने वाली कहावत यहां चरितार्थ होती है। भाजपा सरकार में भाजपा कार्यकर्ताओं ने भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज सोमानी का पुतला फंुक कर सोमानी की बडती राजनैतिक छवि खराब करने का प्रयास किया। पंचायत सचिव के टांसफर को लेकर जितना बखेडा किया गया वह गले नहीं उतरता है। सोमानी का पुतला फुंकने के पिछे कोई बडा कारण होगा। जिन कार्यकर्ताओं ने पुतला फुंका उनका सोमानी से व्यक्तिग विवाद भी नहीं है। सोमानी का जलाया पुतला मीडिया की सुर्खियों में आ गया। धीरे धीरे पुतला फुंकने की साजिश के राज खुल रहे है। लोग स्वयं के पैेर पर कुल्हाडी मारने वाली घटना बता रहे है। अब देेखना है कि पुतला फुंके जाने के बाद सोमानी भाजपा जिलाध्यक्ष का पद बचाने सफल रहते है या विरोधी अपनी चाल में सफल होते है। यह तो आने वाली समय ही बताएगा।

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