रामलाल के भक्तों की अयोध्या में क्यों हारी बीजेपी़
रामलला के भक्तों में क्यों हैै,आक्रोश
मोदीजी की रामजी को राम-राम, जय जगन्नाथ केे हुए भक्त
महेश पाटीदार/ चीफ रिर्पोटर
हाल ही संपंन लोकसभा चुनाव में उप्र में भाजपा को करारी हार का सामना करना पडा। इस हार से रामजी की नगरी अयोध्या भी अछुती नही रही। रामजी की नगरी अयोध्या क्षेेत्र से भाजपा की करारी हार से भाजपा कार्यकर्ताओं में चारों औेर हाहाकार मची है। तमाम लोग ने अयोध्यावासियों कोे लेकर सोशल मीडिया पर तरह तरह के मैसेज पोस्ट किए जाने लगे है। सोशल मीडिया पोस्ट में अयोध्यावासियों केे लिए अशोभनिय शब्दों का प्रयोग जारी है। रामलला की अयोध्या में भाजपा की दुर्गति ने राजनीती का नया अध्याय लिखा जा चुका है। चार महिने पहले चारों ओर रामजी की अयोध्या की गुंज थी। धर घर पर नारा लिखा गया मेरा गांव मेरी अयोध्या, मेरा घर मेरी अयोध्या से दिवारे पट सी गयी थी। वही अयोध्या की सीट भाजपा के हारने पर उस क्षेत्र के लोगों के लिए गंदे शब्दों का उपयोग किस मानसिकता का परिचायक है।
अयोध्या में क्यों हारी भाजपा-
अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण हेतु हटाए गए विस्थापितों के नाम मात्र का मुआवजा दिया गया। इसके पश्चात पुर्नवास के लिए सरकारी कांपलेक्स में निर्मित दुकानों की कीमत 20 से 40 गुना अधिक वसुली गयी। जिससे स्थानीय व्यापारियों एवं रहवासियों में काफी आक्रेाश था।
विकास कार्यो के अधिकांश ठेके गुजरातियों को दिए जाने से स्थानीय लोगों का रोजगार छिना गया। गुजराती ठेकेदारों ने स्थानीय लोगों की समस्या को दरकिनार कर निर्माण कार्य जारी रखने के कारण लोगों में नाराजगी बढती गयी। परेशानी झेले अयोध्यावासी और माल छापे गुजराती, इस बात से रहवासियों में भाजपा सरकार के प्रति काफी आक्रोश फैलता गया।
वीआईपी के आगनम से बिगडता यातायात-
रामलला का मंदिर निर्माण के बाद से ही अयोध्या नगरी में दर्शनार्थियों की बाढ सी आ गयी। जिससे आए दिन अयोध्या का यातायात प्रभावित होता रहा। वीआईपी के आगमन से नित्य यातायात परिवर्तित किया जाने से लोगों का धंधा चौपट हो गया और परेशानियॉ बढ गई। वीआइपी आगमन से मार्ग पर रोक-टोक से रहवासी परेशान हो गए। स्थानीय प्रशासन ने अयोध्यावासियों की बातों को दरकिनार करने से भी सरकार के प्रति आक्रोश बढता गया। भाजपा सरकार के अफसर शाही बेलगाम होकर केवल अति विशिश्ठ व्यक्तियों की बाते ही सुनता रहा जिससे जनमानस में हताशा के कारण भाजपा के प्रति नफरत बढती गयी।
लोकसभा चुनाव में उप्र से भाजपा को भारी बढत का अनुमान था किंतु उलट कर बडा गड्डा मिला। अयोध्या सीट से भाजपा की करारी हार ने इसके पदाधिकारियों के व्यवहार पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया।
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